• दंदरौआ धाम

  • दंदरौआ धाम

    तन मन ब्यापे ब्याधि जो, या निर्धन के योग । डॉ श्री हनुमान का, सुमिरन करे सुयोग ॥ अभिमंत्रित वातावरण, रोग निवारण योग । यज्ञ हवन की भभूति से, ब्याधि मिटायें लोग ॥ जनमुख से सुनते रहे, उनकी कृपा अपार । संकट उनके कवच से, सदा मानता हार ॥ ऐसे अंजनि सुत प्रभू, केसरी के हे ! लाल । कुलदीपक की लेखनी, कर दो आज निहाल ॥ कुलदीपक मई नाम का, प्रभु दीपक तो आप । बाती बन प्रभु मै जलूं,आप हरें संताप ॥ राम नाम मणि दीप के, आप जगावं हार । ऐसो उजियारो करो, जगमग हो संसार ॥

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    तन मन ब्यापे ब्याधि जो, या निर्धन के योग । डॉ श्री हनुमान का, सुमिरन करे सुयोग ॥ अभिमंत्रित वातावरण, रोग निवारण योग । यज्ञ हवन की भभूति से, ब्याधि मिटायें लोग ॥ जनमुख से सुनते रहे, उनकी कृपा अपार । संकट उनके कवच से, सदा मानता हार ॥ ऐसे अंजनि सुत प्रभू, केसरी के हे ! लाल । कुलदीपक की लेखनी, कर दो आज निहाल ॥ कुलदीपक मई नाम का, प्रभु दीपक तो आप । बाती बन प्रभु मै जलूं,आप हरें संताप ॥ राम नाम मणि दीप के, आप जगावं हार । ऐसो उजियारो करो, जगमग हो संसार ॥

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    तन मन ब्यापे ब्याधि जो, या निर्धन के योग । डॉ श्री हनुमान का, सुमिरन करे सुयोग ॥ अभिमंत्रित वातावरण, रोग निवारण योग । यज्ञ हवन की भभूति से, ब्याधि मिटायें लोग ॥ जनमुख से सुनते रहे, उनकी कृपा अपार । संकट उनके कवच से, सदा मानता हार ॥ ऐसे अंजनि सुत प्रभू, केसरी के हे ! लाल । कुलदीपक की लेखनी, कर दो आज निहाल ॥ कुलदीपक मई नाम का, प्रभु दीपक तो आप । बाती बन प्रभु मै जलूं,आप हरें संताप ॥ राम नाम मणि दीप के, आप जगावं हार । ऐसो उजियारो करो, जगमग हो संसार ॥

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    तन मन ब्यापे ब्याधि जो, या निर्धन के योग । डॉ श्री हनुमान का, सुमिरन करे सुयोग ॥ अभिमंत्रित वातावरण, रोग निवारण योग । यज्ञ हवन की भभूति से, ब्याधि मिटायें लोग ॥ जनमुख से सुनते रहे, उनकी कृपा अपार । संकट उनके कवच से, सदा मानता हार ॥ ऐसे अंजनि सुत प्रभू, केसरी के हे ! लाल । कुलदीपक की लेखनी, कर दो आज निहाल ॥ कुलदीपक मई नाम का, प्रभु दीपक तो आप । बाती बन प्रभु मै जलूं,आप हरें संताप ॥ राम नाम मणि दीप के, आप जगावं हार । ऐसो उजियारो करो, जगमग हो संसार ॥

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    तन मन ब्यापे ब्याधि जो, या निर्धन के योग । डॉ श्री हनुमान का, सुमिरन करे सुयोग ॥ अभिमंत्रित वातावरण, रोग निवारण योग । यज्ञ हवन की भभूति से, ब्याधि मिटायें लोग ॥ जनमुख से सुनते रहे, उनकी कृपा अपार । संकट उनके कवच से, सदा मानता हार ॥ ऐसे अंजनि सुत प्रभू, केसरी के हे ! लाल । कुलदीपक की लेखनी, कर दो आज निहाल ॥ कुलदीपक मई नाम का, प्रभु दीपक तो आप । बाती बन प्रभु मै जलूं,आप हरें संताप ॥ राम नाम मणि दीप के, आप जगावं हार । ऐसो उजियारो करो, जगमग हो संसार ॥

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    तन मन ब्यापे ब्याधि जो, या निर्धन के योग । डॉ श्री हनुमान का, सुमिरन करे सुयोग ॥ अभिमंत्रित वातावरण, रोग निवारण योग । यज्ञ हवन की भभूति से, ब्याधि मिटायें लोग ॥ जनमुख से सुनते रहे, उनकी कृपा अपार । संकट उनके कवच से, सदा मानता हार ॥ ऐसे अंजनि सुत प्रभू, केसरी के हे ! लाल । कुलदीपक की लेखनी, कर दो आज निहाल ॥ कुलदीपक मई नाम का, प्रभु दीपक तो आप । बाती बन प्रभु मै जलूं,आप हरें संताप ॥ राम नाम मणि दीप के, आप जगावं हार । ऐसो उजियारो करो, जगमग हो संसार ॥

डॉ. हनुमान मंदिर दंदरौआ धाम

डॉ. हनुमान के नाम से ख्यातिलब्ध ''गोपी वेश धारी ''श्री हनुमान जी की प्रस्तर मूर्ति यहाँ लोगों के दर्द के हरण के लिए जानी जाती है ! लाखो श्रद्धालु यहाँ अपने शारीरिक व मानसिक ब्याधियों से निजात पाने के लिए आते है और श्री हनुमान जी की शूछम किन्तु दिब्य कृपा से रोग मुक्त हो जाते है ! ''नासै रोग हरै सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा'' इसी अवधारणा को साकार करते श्री हनुमान जी यहाँ छोटे से गांव ''दंदरौआ'' में लोगों के आस्था के केंद्र बिंदु बने है ! दंदरौआ ग्राम जिला भिंड, तहसील मेंहगांव के ग्राम धमूरी और चिरोल के मध्य स्थित है ! और ...